Phir Kisi Rahguzar Par Shayad.....
Tuesday, January 17, 2017
कुछ कही... कुछ अनकही...
... एक लम्बा अरसा बीत गया...
आज अचानक यहाँ आ पहुंचा...
काफी कुछ बदल गया ज़िन्दगी में...
यही है ज़िन्दगी चंद ख्वाब, चंद उम्मीदें...
ज़िन्दगी रोज़ नए रंग में ढल जाती है...
... जल्दी ही कुछ लिखने की कोशिश करूँगा...
Monday, November 9, 2009
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है.....
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे ख़ुद रास्ता हो जाएगा.....
Saturday, October 31, 2009
मैं ये सुनता हूँ....... के वो दुनिया की ख़बर रखतें हैं.........
जो ये सच है.......तो उन्हें मेरी ख़बर भी होगी.........
Friday, October 9, 2009
ज़िन्दगी रोज़ नए रंग में ढल जाती है........
कभी दुश्मन तो कभी दोस्त नज़र आती है.......
मेरे माजी पे ना जा मेरे गुनाहों को ना गिन......
कौन है जिससे कभी भूल ना हो पाती है.......
Thursday, October 8, 2009
फिर किसी रहगुज़र पर शायद ........
हम कभी मिल सके मगर शायद.......
मुन्तज़र जिनके हम रहे उनको ..... मिल गए और हमसफर शायद...........
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